दिवाली गुजरे तो बहुत दिन हुए , कल उसी बेटे का बीसवाँ जन्मदिन , जो दिवाली वाले दिन बड़े संभाल कर इस दिये को दिल्ली से घर लाया और ख़ुद अपने हाथों से इसमें तेल डाल कर , बत्तियाँ लगा कर जलाया भी उसी ने |मन बेतहाशा खुश हुआ कि वो अन्तर्मन से एक खुशी के साथ साथ एक जिम्मेदारी से जुड़ा.....कहने सुनने में ये बातें भारी लगती हैं , इन्हें शब्द देना भी मुश्किल सा ही लगता है , पर है तो सच्चाई ही | फ़िर उसकी बहनों ने दिये के और उसके फोटोग्राफ्स खींचे ....|
नन्हा दिया कह रहा है
खिल जाए हर मन की कली
निखरा हूँ मैं जिस तरह
हो दिया बाती का मेल
इस तरह हर गली
मुस्कराएँ साथ मिल कर
उत्सव हो हर घड़ी
पकडें जो हाथ मिल कर
हो सदा ही दीवाली
सँदेश इतना है
मन चुक न जाए
तम की हो जब जब साजिश
प्रेम का हो तेल
सहयोग हो साथी
लगन की हो अगन
दूर जहाँ तक जाती हो नजर
ज्ञान के हों दीप जगमगाते
धैर्य से झिलमिलाते
आलोकित हो जाता पथ
खिल जाए हर मन की कली